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लेखनी कहानी -14-Mar-2022 चूहा - बिल्ली

"शादी क्या हुई , आफत मोल ले ली"
हंसमुख लाल जी बड़बड़ाते चले जा रहे थे । वैसे एक राज की बात बताऊं आपको कि ऑफिस में जिनकी बात ना तो बॉस सुनता है और ना ही मातहत । यहां तक कि चपरासी भी पानी पिलाने से इंकार कर देता है । घर का हाल तो और भी ज्यादा बुरा है । कम नंबर लाने पर अगर बेटे को टोको तो बीवी बेटे को कहती है "इनकी बात पर ध्यान ही मत दे बेटा, ये तो हमेशा ऐसे ही बड़ बड़ करते रहते हैं" । कसम से आदमी की ऐसी सुलगती है कि न जाने कहां कहां से धुंआ निकलता है, हम बता भी नहीं सकते हैं । ये तो ज्ञानी लोग हैं जो स्वयं पहचान लेते हैं या फिर कुछ भुक्तभोगी , जिन्हें इसका अनुभव है। 

हम समझ गये कि हंसमुख लाल जी की भी आज ऐसे ही सुलग रही है जिसका धुंआ यहां वहां से निकल रहा है । कहते हैं कि जिसका कोई नहीं होता है उसका खुदा होता है । पर अब लोगों का खुदा से भरोसा उठ गया है इसलिए लोग अब "बाबाओं" के चक्कर लगाते देखे जा रहे हैं । कोई बलात्कारी बाबा तो कोई डकैत बाबा । किसी बाबा की कृपा किसी समोसे की चटनी में अटकी पड़ी है । अब चटनी मिले तो कृपा बरसे । मगर दुकानदार भी अजब अहमक आदमी है । कहता है कि खाली चटनी नहीं देता । समोसा लो और चटनी ले जाओ । मगर बाबा ने तो कहा था कि कृपा चटनी में ही अटकी पड़ी है । उन्होंने समोसे का तो नाम भी नहीं लिया तो फिर आप ही बताइये कि समोसा कैसे लाएं ?  अगर समोसा ले आएं तो क्या पता अर्थ का अनर्थ ना हो जाए ? इसलिए समोसा लाने की हिम्मत जुटा नहीं सके और अपने घर पर कृपा बरसा नहीं सके । 

अब मजे की बात देखिए कि यह हालत कोई अनपढ़ लोगों की ही नहीं है बल्कि पढ़े लिखे लोग भी इन टोने टोटकों को मानते हैं , यह और भी हास्यास्पद है । उत्तर प्रदेश के एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री के बारे में कहते हैं कि वह आस्ट्रेलिया से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके आये हैं । हमारे मौहल्ले में एक चतुर सिंह रहते हैं । उन्होंने अपने बच्चे को यूक्रेन भेज दिया था मेडिकल की पढाई करने । बोले "जिन बच्चों का चयन भारत के किसी भी थर्ड क्लास कॉलेज में भी नहीं होता है वे विदेश जाकर मेडिकल , इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके आते हैं" । 

हम यह कतई नहीं कह रहे कि उन महाशय ने आस्ट्रेलिया से इसी तरह पढ़ाई की होगी । हमारा तो मानना है कि कोई पढ़ा लिखा आदमी और वह भी एक इंजीनियर और वह भी देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री, अगर किसी अफवाह के आधार पर कोई काम करे तो फिर क्या कहा जा सकता है ? अफवाह क्या है ? यही कि अगर कोई मुख्यमंत्री नोएड़ा जायेगा तो फिर वापस मुख्यमंत्री नहीं बन पाएगा । इंजीनियर मुख्यमंत्री अपने पांच साल के कार्यकाल में इस अफवाह के कारण नोएडा गये ही नहीं और अपने आपको समाजवादी, प्रगतिशील , सुशिक्षित और न जाने क्या क्या कहते हैं ? हमने देखा कि कैसे कोई "बुलडोजर बाबा" बड़ी ठसक के साथ नोएडा जाता है । एक नहीं कई बार जाता है मगर उसका बाल भी बांका नहीं होता  है । वह दुबारा मुख्यमंत्री भी बन जाता है । अब कोई "मलिन दरबार" का बाबा कह सकता है कि जिसके पास बुलडोजर हो उसका कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता है । अफवाह, टोने, टोपके सब डरते हैं उससे । 

हम भी पता नहीं कहां से कहां चले जाते हैं । हम उन लोगों में से हैं जिन्हें बीवी ने भेजा तो था थैला देकर सब्जी लाने के लिए मगर रास्ते में किसी सुंदर चेहरे को देखकर उसके पीछे पीछे चलने लगते हैं । और जब किसी दूसरे अहमक को सैंडल से पिटते देखते हैं तो फिर अपनी औकात में आकर सब्जी का थैला टटोलते हैं । 

जिसकी ना घर में कोई सुने और ना ही ऑफिस में तो वह आदमी क्या करेगा ? वह सिर्फ बड़बड़ा सकता है । इसी से वह अपना फ्रस्ट्रेशन निकाल लेता है । कुछ महान लोग बाबा बन जाते हैं और ऐसे दुखी व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान करते हैं जिनका समाधान वे अपने लिये कभी कर नहीं पाये । 

हमें हंसमुख लाल जी से बड़ी हमदर्दी हुई । आखिर हमारे घुटन्ना मित्र जो ठहरे । और फिर मित्र ही मित्र के काम आता है । हमने पूछ ही लिया "क्या हो गया हंसमुख लाल जी । लगता है आज बहुत गुस्से में हैं" ? 
हमने उनकी दुखती रग पर.हाथ रख दिया था । अब फल तो भोगना ही था । वे हमारे कंधे पर सिर रखकर ऐसे रोये जैसे पहले बेटी विदा होकर जब ससुराल जाती थी तो अपने बाप के कंधे पर सिर रखकर रोती थी । अब तो दूल्हा रोता है सारी जिंदगी । सारी शर्ट भिगो दी उन्होंने हमारी अपने आंसुओं से और अपनी नाक में जमा समस्त पदार्थ हमारी शर्ट पर उंडेल दिया । इस सीन को देखकर हमें भी रोना आ गया । अरे, हंसमुख लाल जी की दशा पर नहीं, अपनी दुर्दशा पर । 
"क्या हुआ ? कुछ तो बोलो" ? बड़ी मुश्किल से इतना ही कह पाये हम । 
"क्या बतायें भाईसाहब ? जिंदगी झंड हो गई । हरदम डर लगा रहता है । न जाने बिल्ली कब झपट्टा मार दे ? न जाने कब हमारे साथ खेला हो जाए" ? 
हमें लगा कि हंसमुख लाल जी किसी विपदा में फंस गए हैं । हमने कहा "खुलकर बताइए न" । 
"अब क्या बतायें भैया ? बीवी हरदम काटने को दौड़ती है । हमेशा मौके की तलाश में रहती है कि कब मौका मिले और कब हमें चूहे की तरह निगल जायें । हम दिन भर अपने ही घर में चूहे बिल्ली का खेल खेलते रहते हैं । बिल्ली , मेरा मतलब है बीवी इस कमरे में तो हम उस कमरे में । और बीवी उस कमरे में तो हम झट से बाथरूम में । बाथरूम को ही हमने अपना बिल बना रखा है । अधिकांश समय वहीं गुजरता है । जब बिल्ली मतलब बीवी सो जाती है तब हम अपने बिल मतलब बाथरूम से बाहर आते हैं और चुपके से बिना आवाज के किचिन में घुसकर दो चार रोटियां ठूंस आते हैं । दबे पांव आते हैं और रेंगते हुए से जाते हैं । ऐसी जिंदगी से तो अच्छा है बाबा ही बन जायें" । उनकी आंखों से गंगा जमना बह निकली । 

हम भी उनकी इस दयनीय हालत पर पिघल गये । वैसे आपको एक बात राज की बतायें, हमारी हालत तो उनसे भी बदतर है मगर हमने अपनी दुर्दशा कभी बयां नहीं की । इसीलिए भाई लोगों के बीच बड़ी इज्ज़त है हमारी । हकीकत किसी को पता नहीं है न । अब हंसमुख लाल जी जैसे लोगों को कैसे समझाएं कि बाबा रहीमदास जी बहुत पहले ही इस बारे में कह गये थे 

रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखो गोय 
सुनि हंसी लै लोग सब बांटिल ना लहै कोय ।। 

काश, हंसमुख लाल जी ने कभी रहीमदास जी को पढ़ा होता तो कम से कम अपनी दुर्दशा हमको तो नहीं बताते । मगर हम भी यारों के यार हैं । अपने दोस्तों का पूरा ध्यान रखते हैं । इसलिए हमने अपने बैग से एक कमंडल निकाला और कहा "पहली गाड़ी से निकल लेना । सीधे हरिद्वार जाकर उतरना । रास्ते में बहुत सारे लोग आपको भटकाने की कोशिश करेंगे मगर अपने मन पर काबू रखते हुये ठेठ हरिद्वार जाकर ही उतरना । बाबा बन जाना । फिर बिल्ली क्या शेर से भी डर नहीं लगेगा । पैसा, प्रतिष्ठा और 'परियां' सब कुछ मिलेगा । मुक्ति का यही एकमात्र मार्ग है बच्चा" । 

हंसमुख लाल जी मेरे पैरों में लोट गये । "आपका यह अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा, गुरुजी" । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
14.3.22 


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4 Comments

Abhinav ji

14-Mar-2022 10:38 AM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Mar-2022 04:14 PM

💐💐🙏🙏

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Nand Gopal Goyal

14-Mar-2022 10:38 AM

बेहतरीन

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Mar-2022 04:13 PM

💐💐🙏🙏

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